पोर्टफोलियो एक मॉडल का नौकरी के लिए रिज़्यूम है. ये सबसे ज़रूरी जानकारी है फोटोज़ और डीटेल्स के रूप में जो हर मॉडल के पास होना चाहिए. यही वो फोटोज़ हैं जिन्हें क्लाएंट, मॉडल से मिलने से पहले देखता है और तय करता है कि वो किसी प्रोजेक्ट के लिए फिट है या नहीं. इसलिए इन पिक्चर्स में ना सिर्फ आपके फिज़िकल ऐट्रिब्यूट्स दिखने चाहिए बल्कि आपके व्यक्तित्व की भी एक झलक मिलनी चाहिए जिससे शुरुआती दौर से ही क्लाएंट की दिलचस्पी आपमें बनी रहे.
एक बार शूट किए जाने के बाद पोर्टफोलियो कम से कम 6 महीने से लेकर एक साल तक इंडस्ट्री में घूमता रहता है. तो इसलिए अपना बेस्ट दें इन टिप्स की मदद से –
बेस्ट शेप / फिज़ीक – बेस्ट फोटोज़ पाने क लिए शारीरिक तौर पर आप अपने बेस्ट फॉर्म में होनी चाहिए. इसलिए पोर्टफोलियो बनवाने से पहले आपके पास कम से कम 3 महिने का समय होना चाहिए (या उससे ज़्यादा आपके शरीर पर निर्भर करता है) अपने शरीर को टोन करने के लिए.
त्वचा, बाल और डेंटल ट्रीटमेंट्स – फ्रेश और रीजुविनेटेड दिखने के लिए, शूट से पहले ही किसी भी तरह की कमी पर काम कर लें. रेगुलर फेशियल्स, बॉडी स्क्रब्स, हेयर कट्स / कलरिंग / कंडीशनिंग ट्रीटमेंट्स / डेंटल क्लीनिंग / अलाईनिंग / व्हाइटनिंग (अगर ज़रूरत हो तो) और ऐसी ही दूसरी चीज़ें. (
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फोटोग्राफर का चुनाव – एक मॉडल को कैमरे क साथ संवाद स्थापित करने की ज़रूरत होती है और ये तभी मुमकिन हो पाता है जब फोटोग्राफर के साथ आपका अच्छा तालमेल और समझ हो. तो किसी भी फोटोग्राफर को सिर्फ उसके पिछले काम और फीस के आधार पर तय करने से पहले एक बार उससे मिलें भी. और रेफरेंस शॉट (जिस तरह पोर्टफोलियो शूट किया जाएगा) लेना ना भूलें. शूट किए जाने वाले लुक्स और बदलावों के बारे में उससे बात करें और पोस्ट प्रोडक्शन और शॉर्टलिस्टेड फोटोज़ की क्लीनिंग के बारे में भी. उसके बाद ही आपको तय करना चाहिए. (
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हेयर और मेकप आर्टिस्ट – अपने बजट और ज़रूरतों के हिसाब से मौजूद सबसे अच्छे हेयर और मेकप आर्टिस्ट्स पर रीसर्च करें. एक बार फाइनलाइज़ करने के बाद, रेफरेंस शॉट्स को उनके साथ शेयर करें जिससे की वो हेयर एक्सटेंशन्स, स्पेशल मेकप, कलर पैलेट्स और ऐसी ही दूसरी चीज़ों की तैयारी शूट के लिए समय रहते ही कर लें. इससे आप आखिरी समय में हड़बड़ी और परेशानी से बचेंगी. (
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स्टाइलिस्ट – आप पोर्टफोलियो में जो पहनती हैं वो आपके व्यक्तित्व और फोटोज़ दोनों को ही उभारने में मदद करता है. तो रेफरेंस शॉट्स के आधार पर स्टाइलिस्ट को ऑप्शन्स तय करने शुरू कर देने चाहे और अडवांस में ही फिटिंग्स कर लेने चाहिए. कभी-कभी आपकी बॉडी टाइप, स्किन कलर और ऐसी ही दूसरी बातों के आधार पर स्टाइलिस्ट आपके पसंद के किसी लुक को नकार भी सकता है. उसकी सलाह पर गौर करें – आखिरकार आपने उसे उसकी विशेषज्ञता के लिए ही तो हायर किया है! (
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आउटडोर या इनडोर – इनडोर और आउटडोर शॉट्स का मेल हमेशा ही अच्छा होता है. ये देखने वाले को बोरियत से बचाता है और पिक्टर और लुक को एक कैरेक्टर देता है. शॉट ब्रेक-अप के आधार पर फोटोग्राफर, स्टाइलिस्ट और आप लोकेशन्स और समय तय कर सकती हैं (सूर्योदय से पहले की रोशनी, सूर्यास्त और ऐसे ही दूसरे समय) (
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कैमेरा कॉन्टैक्ट – बात करते वक्त सामने वाले की आंखों में देखना सम्मान और आत्मविश्वास की निशआनी हैं. यही चीज़ कैमरे के सामने भी दिखाने के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि आपके पोर्टफोलियो के कई शॉट्स में आप कैमरे के लेन्स में देखकर अपने भाव व्यक्त कर रही हों और अपनी मौजूदगू दर्ज करा रही हों. (
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शॉट्स का चुनाव – अलग-अलग प्रोजेक्ट्स की अलग-अलग मांग होती है. इसलिए सबकी ज़रूरतों का ध्यान रखते हुए आपके पोर्टफोलियो के शॉर्टलिस्टेड शॉट्स में क्लोज़-अप्स, मिड-लेंग्थ और फुल-लेंग्थ शॉट्स शामिल होने चाहिए. इस तरह पके क्लाएंट को आपको जज करनेमें आसानी होगी. (
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पोस्ट प्रोडक्शन – हर शॉर्टलिस्टेड पिक्चर अगर ज़रूरत पड़े तो पोस्ट-एडिट प्रोसेस में जानी चाहिए (फॉर्मैटिंग, क्लीनिंग, फोटोशॉप और ऐसी ही दूसरी चीज़ें). पर फोटोज़ को ज़्यादा से ज़्यादा रीयल दिखाने के लिए कम से कम एडिटिंग का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. फोटोग्राफर से हाई और लो रेज़ोल्यूशन दोनों में हो फोटोज़ ले लें जिससे अपलोडिंग और प्रिंटिंग में कोई दिक्कत ना हो. (हाई रेज़ोल्यूशन प्रिंटिंग के लिए और लो रेज़ोल्यूशन ऑनलाइन इस्तचेमाल के लिए). (
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वाइटल डीटेल्स – आपके पोर्टफोलियो के साथ एक वाइटल इनफॉर्मेशन शीट भी होनी चाहिए जिसमें सभी ज़रूरी जानकारियां होनी चाहिए जैसे की लंबाई, वजन, आंखों का रंग, बालों का रंग और ऐसी ही दूसरी चीज़ें.
सबसे आखिरी और सबसे ज़रूरी बात इसके साथ अपना और अपनी चुनी हुई एजेंसीज़ और एजेंट्स के कॉन्टैक्ट डीटेल्स भी ज़रूर दें.
ऑल द बेस्ट!